hafeez ki shayyiri
हवा भी खुश गावर है, गुलों पे भी निखार है तरन्नुम हज़ार है, बहार पर बहार है कहाँ चला है साकिया इधर तो लौट इधर तो आ अरे यें देखता है कया उठा सुबू[सुराही], सुबू उठा सुबू उठा प्याला भर, प्याला भर के दे इधर चमन की सिमट कार नज़र, समां तो देख बे खबर वो काली-काली बदलियां उफ्फक पे हो कहीं अयां[प्रगट] वो इक हजुमे-मय कशां[शराब पीने वालो की भीड़] है सुए-मयकदा[मधुशाला] रवां यें कया गुमां है बदगुमां, समझ न मुझको नातवां खयाले ज़ोहद[पूजा पाठ करने का विचार] अब कहाँ अभी तो मैं जवान हूँ
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