Saturday, January 17, 2009

nida fazli ki shayyiri

अपना गम ले के कहीं और ना जाया जाये
घर में बिखरी हुई चीजों को सजाया जाये
जिन चिरागों को हवाओं का कोई खौफ नहीं
उन चिरागों को हवाओं से बचाया जाये
बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं
किसी तितली को ना फूलों से उदय जाये
खुदकुशी करने की हिम्मत नहीं होती सब में
और कुछ दिन यूँ ही औरों को सताया जाये
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ करें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये

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