Saturday, April 25, 2009

"Daag" ki shayyiri

याद है कहना वह किसी वक़त का
होश में आओ तुम्हें कया हो गया
डर मेरे सीने में जो रुकता है आज
कौन खुदा जाने ख़फा हो गया
हाल मेरा देख के कह्ते हैं वो
कोई हसीं इस से जुदा हो गया

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