Saturday, April 4, 2009

mohammad deen tasir ki shayyiri

मेरी वफायें याद करोगे
रो'ओगे, फरयाद करोगे
मुझको तो बरबाद किया है
और किसे बरबाद करोगे
हम भी हँसेंगे तुम पर एक दिन
तुम भी कभी फरयाद करोगे
महफ़िल की महफ़िल है गमगीन
किस किस का दिल शाद करोगे
दुश्मन तक को भूल गए हो
मुझको तुम क्या याद करोगे
ख़त्म हुई दुशनाम-तराजी
या कुछ और इरशाद करोगे
जा कर भी नाशाद किया था
आ कर भी नाशाद करोगे
छोडो भी तासीर की बातें
कब तक उस को याद करोगे

No comments:

Post a Comment

wel come