Thursday, December 18, 2008

अरमां है, तुम्हारे दर्दे गम की दवा हो जाऊँ
कभी फूल, कभी शोला, कभी शबनम हो जाऊँ
तुम्हारी आँखों में रचूँ - बसूँ, तुम्हारे दिल में रहूँ
तुमसे दूर होने की सोचूँ, तो तनहा हो जाऊँ
हर मुहब्बत दुलहन बने, जरूरी तो नहीं
इश्क इबादत है मेरी, कैसे मैं खुदा हो जाऊँ
मुझसे हँस -हँस के लोग पूछते हैं नाम तुम्हारा
खुदा का नाम बता दूँ और रुसवा हो जाऊँ
तुम्हारा प्यार समंदर है, डूबा जा रहा हूँ मैं
रोक लो मुझको इससे पहले मैं फ़ना हो जाऊँ
ग़म ने खुद आके दिया है सहारा मुझको
मैंने कब माँगा था हाय कि मैं उसका हो जाऊँ

No comments:

Post a Comment

wel come