Thursday, December 18, 2008

बन जाऊं अगर तुमसा तो
तुम्हे कैसा लगेगा !
हर पल मैं रहूँ तुमसे खफा
तुम्हे कैसा लगेगा !
पढ़ते हो जो तुम मुझे
नामाजों की तरह
हो जाऊं अगर तुमसे काजा
तुम्हे कैसा लगेगा !

तुम प्यार में खुद को
मिटाने पर हो राज़ी
बन जाये अगर प्यार सजा तो
कैसा लगेगा !

खुद से भी जयादा हो यकीन
तुमको कीसी पर
वो शख्स ही दे जाये दगा तो
कैसा लगेगा !

तुम औरों की महफिल का
दीया बन के जलो
और
तन्हाई मीले तुमको सीला
तो फीर कैसा लगेगा !

1 comment:

  1. तुम औरों की महफिल का
    दीया बन के जलो
    और
    तन्हाई मीले तुमको सीला
    तो फीर कैसा लगेगा !


    'Roshni dena hi chiraag ka naseeb hai,
    par meri dost tale mei usske andhera naseeb hai"
    tanhai ka hi silla milega tum ko yun,
    ummid ka silsila to saza ke kareeb hai.

    -rahul(20.12.08)

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wel come