Saturday, December 20, 2008

"daag" ki shayyiri

गैर के साथ दिल में भी देखा
कभी तन्हा नज़र नहीं आता
कोई दिल तेरे एहद[समय] में ज़ालिम
बे-तमन्ना नज़र नहीं आता
दिल का आइना देखने को बना
पर जो चाह नज़र नहीं आता
हमीं ऐ ! 'दाग' कोर-बातिन[अन्तरांत] हैं
वर्ना वो कया नज़र नहीं आता

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wel come