Sunday, January 18, 2009

ahmed nadeem qasmi ki shayyiri

मुझसे काफिर को तेरे इश्क ने यूँ शरमाया
दिल तुझे दे के धड़का तो खुदा याद आया
चारागर आज सितारों कि क़सम खा के बता
किसने इंसान को तबसुम[हंसी] के लिए तरसाया
नज़र करता रहा मैं फूल के जज़्बात उसे
जिसने पत्थर के खिलौनों से मुझे बहलाया
उसके अन्दर इक फनकार छुपा बैठा है
जानते-बुझते जिस शख्स ने धोखा खाया

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