Saturday, January 17, 2009

बड़ा दुश्वार होता है
ज़रा सा फैसला करना
के जीवन की कहानी को
कहाँ से याद रखना है
कहाँ से भूल जाना है
किसे कितना बताना है
किस से कितना छुपाना है
कहाँ रो रो के हसना है
कहाँ हस हस के रोना है
कहाँ आवाज़ देनी है
कहाँ खामोश रहना है
कहाँ रस्ता बदलना है
कहाँ साथ लौट जाना है
बड़ा दुश्वार होता है
ज़रा सा फैसला करना ...

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