Saturday, January 17, 2009

कितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उसको भाते होंगे
उसकी याद की बाद-ए-सबा में और तो कया होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं, बिखरे ! और बिखर जाते होंगे
बंद रहे जिनका दरवाज़ा ऐसे घरों की मत पूछो
मेरी सांस उखड़ते ही सब बैन करेंगे, रोयेंगे
यानि मेरे बाद भी, यानि सांस लिए जाते होंगे
यारो कुछ तो बात बताओ उसकी क़यामत बाहों की
वो जो सिमटते होंगे इन में वो तो मर जाते होंगे

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