Saturday, January 17, 2009

हजारों दर्द ऐसे है अगर भरते तो अच्छा था
तुम्ही को हमने चाह था तुम्ही मिलते तो अच्छा था
कोई आ कर हमें पूछे तुम्हे कैसे भुलाया है
तमाम अश्कों को हमने शब्-ए-गम में जलाया है
हजारों ज़ख्म ऐसे है अगर सिलते तो अच्छा था
तुम्ही को हमने चाह था तुम्ही मिलते तो अच्छा था

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