Tuesday, March 31, 2009

altaf husain haali ki shayyiri

दिल से ख़याल-ए-दोस्त भुलाया न जायेगा
सीने में दाग है, मिटाया न जायेगा
तुमको हज़ार शर्म सही, मुझको लाख ज़ब्त
उल्फत वो राज़ है जो छुपाया न जायेगा
मकसूद अपना कुछ न खुला लेकिन इस कदर
यानी वो ढूँढ़ते हैं कि पाया न जायेगा
बिगडें न बात बात पे क्यूँ जानते हैं वो
हम वो नहीं कि हमको मनाया न जायेगा

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