Tuesday, March 31, 2009

bekas ki shayyiri

मैंने देखा है,
सफीने से निकलता माजी.

अकाबत के काले समंदर में,
उतरते उसके पावों को महसूस किया है
अपनी साँसों में तड़प पायी उसकी

मैंने देखा
कि वो समझा रहा था मेरे फर्दा को,
मेरे कल को जो आनेवाला है,
कि आदत है इस शख्स को
गम उठाने की
मैंने देखा है
कि तबस्सुम के सफीने से निकल कर
मेरा माजी मेरे फर्दा से मिल गया है
मेरे कल को गमजदा करने से लिए,

और सोचा है,
कि अगर मेरा कल आ गया
तो मेरा माजी,
मुझे,
जीने नहीं देगा.........

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