Thursday, April 30, 2009

asad badauni ki shayyiri

ज़मीन से खला की तरफ जाउंगा
वहां से खुदा की तरफ जाउंगा
बुखारा-ओ-बग़दाद-ओ-बसरा के बाद
किसी कर्बला की तरफ जाउंगा
चमन से बुलावा बोहत है मगर
मैं दश्त-ए-बला की तरफ जाउंगा
चमकता दमकता नगर छोड़ कर
फिर उस बे-वफ़ा की तरफ जाउंगा
रफ़ाक़तों की राहों मैं कुछ भी नहीं
यहाँ से जफा की तरफ जाउंगा
अगर मैं न आगाज़ में मर गया
तो फिर इन्तेहा की तरफ जाउंगा

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