आशना[जानकार] तू है अपने मतलब का
फैसला हो चूका है यह कब का
दाग-ए-मय को ना देख ऐ जाहिद !
दिल तो है पाक रिंद-मशरब[शराबी]का
काफिर-ए-इश्क क्यूँ मुसलमां हो
सब को है पास अपने मजहब का
पहले इनकार और फिर दुशनाम[गाली]
यें नतीजा है अर्ज़-ए-मतलब[प्रार्थना] का
शुक्र है 'दाग' कामयाब हुआ
हक-तआला[ईश्वर] भला करे सब का
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