Thursday, April 30, 2009

unknown

तुम आये हो न शब्-ए-इंतज़ार गुजरी है
तलाश में है सहर, बार बार गुजरी है
जुनून में जितनी भी गुजरी, बकार[worthwhile] गुजरी है
अगरचे दिल पे खराबी-ए-हज़ार गुजरी है
वोह बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था
वोह बात उनको बोहत नागवार गुजरी है
न गुल खिले हैं, न उनसे मिले हैं, न मै पी है
अजीब रंग में अब के बहार गुजरी है
चमन में गारत-ए-गुल्चीं पे जाने क्या गुजरी
कफ़स[prison] से आज सबा बेक़रार गुजरी है

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