Sunday, May 31, 2009

shakeel badayuni ki shayyiri

कैसे कह दूँ की मुलाकात नहीं होती
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती
आप लिलाह देखा करें आईना कभी
दिल का जाना कोई बड़ी बात नहीं होती
छुप के रोता हूँ तेरी याद में दुनिया भर से
कब मेरी आँख से बरसात नहीं होती
हाल-ऐ-दिल पूछने वाले तेरी दुनिया में कभी
दिन तो होता है मगर रात नहीं होती
जब भी मिलते हैं तो कह्ते है, 'कैसे हो "शकील"'
इस से आगे तोह कोई बात नहीं होती

No comments:

Post a Comment

wel come