Sunday, May 31, 2009

unknown

थोडी सी इबादत बुहत सा सिला देती है...
गुलाब की तरह चेहरा खिला देती है...
अल्लाह की याद को दिल से न जाने देना...
कभी कभी छोटी से दुआ अर्श हिला देती है..

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