Sunday, May 31, 2009

unknown

मैंने रखा है मुहब्बत अफ़साने का नाम
तुम भी कुछ अच्छा सा रख दो अपने दीवाने का नाम

किस कदर खुबसूरत है तेरे दीदार की दुनिया
मेरी नज़रों की ज़न्नत है जुल्फ-ओ-रुखसार की दुनिया
तुम्हें पहचाना है, खुदा को समझा है, खुदा को जाना है

दिल पे तुम हाथ जो रख दो मेरी तस्कीन हो जाए
जानेमन जिंदगी मेरी कुछ तोह रंगीन हो जाए
नज़र मिल जाने दो, क़यामत आती है, क़यामत आने दो

इश्क पे क्या गुज़रती है हुस्न ये राज़ क्या जाने
मेरे दिल के तड़पने का कोई अंदाज़ क्या जाने
है दिल परवाने का, कोई हमसे पूछे, मज़ा जल जाने का

मैंने रखा है मुहब्बत अफ़साने का नाम
तुम भी कुछ अच्छा सा रख दो अपने दीवाने का नाम

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