Sunday, May 31, 2009

unknown

जुज़ इसके और इस्बत-ए-वफ़ा क्या है
खुदा से पूछ बैठे हम खुदा क्या है
लगा कर आग क्या पाया महुब्बत की
न सोचा संग दिल के और जला क्या है

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