Sunday, May 31, 2009

unknown

मैं नज़र से पी रहा हूँ, ये समा बदल जाए
झुकाओ तुम निगाहें, कहीं रात ढल जाए
मेरे अश्क भी है इस में ये शराब उबल जाए
मेरा जाम छूने वाले तेरा हाथ जल जाए
अभी रात कुछ है बाकी, उठा नकाब साकी
तेरा
रिंद गिरते गिरते, कहीं फिर संभल जाए
मेरी जिन्दगी के मालिक, मेरे दिल पे हाथ रखना
तेरे आने की खुशी में मेरा दम निकल जाए
मुझे फूंकने से पहले, मेरा दिल निकल लेना
ये किसी की है अमानत, मेरे साथ जल जाए

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