Sunday, December 21, 2008

hafeez ki shayyiri

अब तो कुछ और भी अँधेरा है
यें मेरी रात का सवेरा है
रहज़नो[लुटेरे] से तो भाग निकला था
अब मुझे रहबरों[पथ परदर्शक] ने घेरा है
आगे-आगे चलो तबर[हथियार] वालो
अभी जंगल बहुत घनेरा है
काफिला किसकी पैरवी में चले
कौन सबसे बड़ा लुटेरा है ?
सोया रहे अब "हफीज़ जी" तुम भी
यें नयी जिंदगी का डेरा है

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