Sunday, January 18, 2009

faraz ki shayyiri

आशकी बेदिली से मुश्किल है
फिर मुहबत उसी से मुश्किल है
इश्क आगाज़ ही से मुश्किल है
सबर करना अभी से मुश्किल है
हमें बेदिली आसान है हमारे लिए
दुश्मनी दोस्ती से मुश्किल है
जिसको सब बेवफा समझते हो
बेवफाई उसी से मुश्किल है
एक दुसरे से सहेल ना जान
हर कोई हर किसी से मुश्किल है
तू बा_जिद है तो जा "फ़रज़" मगर
वापसी उस गली से मुश्किल है

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