Sunday, January 18, 2009

ghalib ki shayyiri

दिल-ए-नादान तुझे हुआ कया है ?
आखिर इस दर्द की दावा कया है ?
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा कया है ?
दिल-ए-नादान तुझे हुआ कया है ?
आखिर इस दर्द की दावा कया है ?
हम हैं मुश्ताक और वो बेजार
या इलाही ! यें माजरा कया है ?
जब की तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फिर यें हंगामा, ऐई खुदा ! कया है !
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ कया है ?

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