Tuesday, March 31, 2009

maulana muhammad ali jauhar ki shayyiri

दौर-ए-हयात आयेगा क़ातिल कज़ा के बाद
है इब्तिदा हमारी तेरी इन्तेहा के बाद
जीना वोह क्या कि दिल में न हो कोई आरज़ू
बाकी है मौत ही दिल-ए-बे-मुद्दा'अ के बाद
तुझ से मुकाबले की किसे ताब है वले
मेरा लहू भी खूब है तेरी हिना के बाद
लज्जत हनोज़ माइदा-ए-इश्क़ में नहीं
आता है लुत्फ़-ए-जुर्म-ए-तमन्ना, सज़ा के बाद
क़त्ल-ए-हुसैन असल में मर्ग-ए-यजीद है
इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद

No comments:

Post a Comment

wel come