Sunday, May 31, 2009

unknown

हर जानिब समंदर है किनारा क्यों नहीं मिलता
मेरे मौला बता मुझको सहारा क्यों नहीं मिलता
मुझे इस शहर में दिन भर हज़ारों लोग मिलते हैं
जिससे मैं ढूँढने निकला वोह प्यारा क्यों नहीं मिलता
जिससे चाह जिससे पूजा जिससे सोचा जिससे लिखा
मेरे मौला मेरा उससे सितारा क्यों नहीं मिलता...

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