Sunday, May 31, 2009

unknown

तुम जहाँ भी रहो सदा खुश रहो
तुम्हे दिल से मैं भुला रहा हूँ आज
तुम्हारे प्यार की जो हसीं यादें है दिल में
उन् यादों को लौटा रहा हूँ आज
तुम्हारी बेवफाई का क्या चर्चा करूँ
अपनी वफ़ा पे शर्मा रहा हूँ आज
मुझे तुम्हारी बेवफाई से कोई शिकवा नही
मैं तुम्हारी जिंदगी से ही जा रहा हूँ आज

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