लुत्फ़ वह इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है
रंज भी ऐसे उठाये हैं कि जी जानता है
मुस्कुराते हुए वह मजमा-ए-अगयार के साथ
आज यूं बज़्म में आये हैं कि जी जानता है
काबा-ओ-दैर में पथरा गयी दोनों आँखें
ऐसे जलवे नज़र आये हैं कि जी जानता है
दोस्ती में तेरी दर-पर्दा हमारे दुश्मन
इस-कदर अपने पराए हैं कि जी जानता है
इन्ही कदमों ने तुम्हारे, इन्ही कदमों की क़सम
ख़ाक में इतने मिलाये हैं कि जी जानता है
दाग़-ए-वाराफ्ता[infatuated] को हम आज तेरे कूचे से
इस तरह खींच के लाए हैं कि जी जानता है
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