Showing posts with label अंजुम रहबर. Show all posts
Showing posts with label अंजुम रहबर. Show all posts

Friday, May 29, 2009

anjum rahbar ki shayyiri

सच बात मान लीजिये चेहरे पे धूल है
इल्जाम आईनों पे लगना फिजूल है
तेरी नवजिशें हों तोह काँटा भी फूल है
ग़म भी मुझे कुबूल, खुशी भी कुबूल है
उस पार अब तोह कोई तेरा मुन्तजिर[इंतज़ार] नहीं
कच्चे घडे पे तैर कर जाना फिजूल है
जब भी मिला है ज़ख्म का तोहफा दिया मुझे
दुश्मन ज़रूर है वो मगर बा-उसूल है

wel come