मयस्सर[possible] हो जो लम्हा देखने को
किताबों में है क्या क्या देखने को
हज़ारों क़द-ए-आदम आईने[full length mirror] हैं
मगर तरसोगे चेहरा देखने को
अभी हैं कुछ पुरानी यादगारें
तुम आना शहर मेरा देखने को
हवा से ही खुलता था अक्सर
मुझे भी इक दरीचा[window] देखने को
अभी शाखों पे हैं कुछ फूल 'अज़हर'
मुझे काँटों में उलझा देखने को