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Saturday, May 30, 2009

ismail ajaz khayaal ki shayyiri

अपने दिल में भी बसो ये ज़रूरी तोः नहीं
मुझको तुम अपना बनाओ ये ज़रूरी तोः नहीं
मेरी राहत और खुशी का तुमसे गर है वास्ता
मेरे जीवन में भी आओ ये ज़रूरी तोः नहीं
मैं तुम्हें जो चाहता हूँ, तुम ज़रूरत हो मेरी
तुम भी अब उल्फत जताओ, ये ज़रूरी तोः नहीं
तुम तस्वूर में मेरे मुस्कान बनकर आते हो
मेरे संग संग मुस्कुराओ ये ज़रूरी तोः नहीं
जिंदगी में धुप छाओं ग़म खुशी के रूप हैं
प्यार का मौसम ही पाओ ये ज़रूरी तोः नहीं
बदली रूत से आज मौसम में है तब्दीली 'ख्याल'
तुम किसी से दिल लगाओ ये ज़रूरी तोः नहीं

wel come