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Thursday, June 4, 2009

meer ki shayyiri

यारो मुझे मुआफ करो मैं नशे में हूँ
अब तो जाम खाली ही दो मैं नशे में हूँ
माज़ूर[helpless] हूँ जो पाऊँ मेरे बेतरह पड़े
तुम सर-गरां[annoyed] तो मुझसे न हो मैं नशे में हूँ
या हाथों हाथ लो मुझे जैसे के जाम-ए-मय
या थोडी दूर साथ चलो मैं नशे में हूँ

Monday, June 1, 2009

meer ki shayyiri

इब्तिदा-ए-इश्क है रोता है क्या
आगे आगे देखिये होता है क्या
काफिले में सुबह के इक शोर है
यानी गाफिल हम चले सोता है क्या
सब्ज़ होती ही नहीं ये सर_ज़मीन
तुख्म-ए-ख्वाहिश दिल में तू बता है क्या
ये निशान--इश्क हैं जाते नहीं
दाग छाती के अबस धोता है क्या
गैरत-ऐ-युसूफ है ये वक्त-ए-अजीज़
'मीर' इसको रायेगाँ खोता है क्या

meer ki shayyiri

वोह आए बज्म में इतना तो 'मीर' ने देखा
फिर उसके बाद चिरागों में रौशनी न रही

Saturday, May 30, 2009

meer ki shayyiri

अब तो हँस हँस के लगता है वोह मेहँदी लेकिन
खून रुलाएगा उससे रंग-ए-हिना मेरे बाद !!

Sunday, May 10, 2009

meer ki shayyiri

फकिराना आये सदा कर चले
मियां खुश रहो हम दुआ कर चले
जो तुझ बिन ना जीने को कह्ते थे हम
सो इस अहद को अब वफ़ा कर चले
कोई न-उम्मीदाना करते निगाह
सो तुम हमसे मुँह भी छिपा कर चले
जबीं सजदा करते ही करते गयी
हक-ए-बंदगी हम अदा कर चले
परसतिश कि यां तै कि ऐ ! बुत तुझे
नज़र में सबों कि खुदा कर चले
कहें कया जो पूछे कोई हमसे 'मीर'
जहाँ में तुम आये थे कया कर चले

wel come