चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है
हमको अब तक आशकी का वो ज़माना याद है
बहाज़ारा इजतिराब-ओ-साद हजार इश्तियाक
तुझसे वो पहले पहल दिल का लगना याद है
तुझसे मिलते ही वो बेबाक हो जाना मेरा
और तेरा दाँतों में वो उंगली दबाना याद है
खींच लेना वो मेरा परदे का कोना दफतन
और दुपट्टे से तेरा वो मुँह छुपाना याद है
जान कर सोता तुझे वो कसा-ए-पाबोसी मेरा
और तेरा ठुकरा के सर वो मुस्कुराना याद है
तुझको जब तन्हा कभी पाना तोह अजरहे-लिहाज़
हाल-ऐ-दिल बातों ही बातों में जताना याद है
जब सिवा मेरे तुम्हारा कोई दीवाना न था
सच कहो क्या तुमको भी वो कार_खाना याद है
गीर की नज़रों से बचकर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़
वो तेरा चोरी छिपे रातों को आना याद है
आ गया गर वस्ल की शब् भी कही ज़िक्र-ऐ-फिराक
वो तेरा रोया-रोया के मुझको भी रुलाना याद है
दोपहर की धुप में मेरे बुलाने के लिए
वो तेरा कोठे पे नंगे पाऊँ आना याद है
देखना मुझको जो बरगश्ता तोह सौ-सौ नाज़ से
जब माना लेना तोह फिर ख़ुद रूठ जाना याद है
चोरी चोरी हमसे तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दते गुज़री पर अब तक वो ठिकाना याद है
बेरुखी के साथ सुनना दर्द-ऐ-दिल की दास्ताँ
और तेरा हाथों में वो कंगन घुमाना याद है
वक्त-ऐ-रुखसत अलविदा का लफ्ज़ कहने के लिए
वो तेरे सूखे लबों का थर-थराना याद है
बावजूद-ए-इददा-ए-इतताका 'हसरत' मुझे
आज तक अहद-ए-हवस का ये फ़साना याद है
nikala mujhko zannat se fareb-e-zindgi de kar.............. diya phir shaunq zannat ka ye hairani nahi jaati.......
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Friday, May 29, 2009
Tuesday, April 28, 2009
hasrat mohaani ki shayyiri
तुझको जब तन्हा कभी पाना हो अज़राहे-लिहाज़[शर्म की खातिर]
हाले-दिल बातों ही बातों में जाताना याद है
हाले-दिल बातों ही बातों में जाताना याद है
hasrat mohaani ki shayyiri
तुम ही कातील, तुम ही मुख्बिर, तुम ही मुंसिफ ठहरे
अक्रिबा[relative] मेरे करें, खून का दावा किस पर
अक्रिबा[relative] मेरे करें, खून का दावा किस पर
Friday, April 17, 2009
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