मुन्तज़र कबसे तैयार है तेरी तकदीर का
बात कर तुझ पर गुमान होने लगा तस्वीर का
रात क्या सोये के बाकी उम्र की नींद उद्द गई
खवाब क्या देखा के धड़का लग गया तहबीर का
कैसे पाया था तुझे फिर किस तरह खोया तुझे
मुझसा मुनकिर भी तो कायल हो गया तकदीर का
जिसको भी चाहा उसे शिदत से चाहा है 'फ़राज़'
सिलसिला टूटा नही है दर्द की ज़ंजीर का
nikala mujhko zannat se fareb-e-zindgi de kar.............. diya phir shaunq zannat ka ye hairani nahi jaati.......
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Monday, June 8, 2009
faraz ki shayyiri
पानी में आँख भर कर लाया जा सकता है
अब भी जलता शहर बचाया जा सकता है
एक मोहब्बत और वोह भी नाकाम मोहब्बत
लेकिन इस से काम चलाया जा सकता है
दिल पर पानी पीने आती है उमीदें
इस चश्मे में ज़हर मिलाया जा सकता है
मुझ गुमनाम से पूछते हैं फरहाद-ओ-मजनू
इश्क में कितना नाम कमाया जा सकता है
यह महताब ये रात की पेशानी की घाव
ऐसा ज़ख्म तो दिल पे खाया जा सकता है
फटा पुराना ख्वाब है मेरा फिर भी "फ़रज़"
इस में अपना आप छुपाया जा सकता है
अब भी जलता शहर बचाया जा सकता है
एक मोहब्बत और वोह भी नाकाम मोहब्बत
लेकिन इस से काम चलाया जा सकता है
दिल पर पानी पीने आती है उमीदें
इस चश्मे में ज़हर मिलाया जा सकता है
मुझ गुमनाम से पूछते हैं फरहाद-ओ-मजनू
इश्क में कितना नाम कमाया जा सकता है
यह महताब ये रात की पेशानी की घाव
ऐसा ज़ख्म तो दिल पे खाया जा सकता है
फटा पुराना ख्वाब है मेरा फिर भी "फ़रज़"
इस में अपना आप छुपाया जा सकता है
Tuesday, June 2, 2009
faraz ki shayyiri
इक कर्ब-ऐ-वफ़ा मसल्सल मुझे सोने नही देता
दिल सब्र का आदि कभी रोने नही देता
मैं उसका हूँ ये राज़ तो वो जान गया है
वो किसका है एहसास ये होने नही देता
दिल सब्र का आदि कभी रोने नही देता
मैं उसका हूँ ये राज़ तो वो जान गया है
वो किसका है एहसास ये होने नही देता
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