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Thursday, June 4, 2009

bashar nawaz ki shayyiri

करोगे याद तो हर बात याद आएगी
गुज़रते वक्त की हर मौज ठहर जायेगी
ये चाँद बीते ज़मानों का आईना होगा
भटकती अबर में चेहरा कोई बना होगा
उदास राह कोई दास्ताँ सुनाएगी
बरसता भीगता मौसम धुआं-धुआं होगा
पिघलती शम्मों पे दिल का मेरे गुमान होगा
हथेलियों की हिना याद कुछ दिलाएगी
गली के मोड़ पे सूना सा कोई दरवाजा
तरसती आंखों से रास्ता किसी का देखेगा
निगाह दूर तलक जा के लौट आएगी

wel come