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Saturday, May 9, 2009

masroor anwar ki shayyiri

मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो
मुझे तुम कभी भी भुला ना सकोगे
ना जाने मुझे क्यों यकीं हो चला है
मेरी याद को तुम मिटा ना सकोगे
मेरी याद होगी जिधर जाओगे तुम
कभी नगमा बन के, कभी बन के आंसू
तडपता मुझे हर तरफ पाओगे तुम
शमा जो जलायी मेरी वफ़ा ने
बुझाना भी चाहो बुझा ना सकोगे
कभी नाम बातों में आया जो मेरा
तो बेचैन हो होके दिल थाम लोगे
निगाहों पे छायेगा ग़म का अँधेरा
किसी ने जो पुछा सबब आँसू का
बताना भी चाहो बता ना सकोगे

wel come