इन हसीनों को नई चालें सिखाता है फलक
दोनों दुश्मन है मेरे, शागिर्द भी, उस्ताद भी
nikala mujhko zannat se fareb-e-zindgi de kar.............. diya phir shaunq zannat ka ye hairani nahi jaati.......
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Sunday, May 10, 2009
bekhud dehlvi ki shayyiri
दर्द-ए-दील में कमी न हो जाये
दोस्ती दुश्मनी न हो जाये
तुम मेरी दोस्ती का दम न भरो
आसमान मुदई न हो जाये
बैठता हूँ हमेशा रिन्दों में
कहीं जाहिद वाली न हो जाये
अपने खू-ए-वफ़ा से डरता हूँ
आशकी बंदगी ना हो जाये
दोस्ती दुश्मनी न हो जाये
तुम मेरी दोस्ती का दम न भरो
आसमान मुदई न हो जाये
बैठता हूँ हमेशा रिन्दों में
कहीं जाहिद वाली न हो जाये
अपने खू-ए-वफ़ा से डरता हूँ
आशकी बंदगी ना हो जाये
Thursday, April 30, 2009
bekhud dehlvi ki shayyiri
वादे का ज़िक्र, वस्ल का ईमा[संकेत], वफ़ा का कौल
यें सब फरेब है, दिल-शैदा के वास्ते
यें सब फरेब है, दिल-शैदा के वास्ते
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