nikala mujhko zannat se
fareb-e-zindgi de kar..............
diya phir shaunq zannat ka ye hairani nahi jaati.......
Sunday, May 10, 2009
bekhud dehlvi ki shayyiri
दर्द-ए-दील में कमी न हो जाये दोस्ती दुश्मनी न हो जाये तुम मेरी दोस्ती का दम न भरो आसमान मुदई न हो जाये बैठता हूँ हमेशा रिन्दों में कहीं जाहिद वाली न हो जाये अपने खू-ए-वफ़ा से डरता हूँ आशकी बंदगी ना हो जाये
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