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Friday, June 5, 2009

faheem ki shayyiri

जिंदगी को अजाब कर डाला
तेरे गम ने ख़राब कर डाला
रख्स करती हैं ख्वाहिशें शब् भर
हमने दिलको नवाब कर डाला
दस्त-ए-दुनिया में इस कदर भटका
हर खुशी को सराब कर डाला
अश्क इतने बहा गया कोई
दिल का आँगन चनाब कर डाला
ज़ब्त की कोई इन्तहा भी हो
अश्क दरिया हुबाब कर डाला
बात बनती नज़र नहीं आती
हमने सब कुछ जनाब कर डाला
चाल ऐसी चलाई है यारों ने
हर हकीक़त को ख्वाब कर डाला
तेरी यादों को मोअत्बर जाना
और दिल का निसाब कर डाला
किस जज्बे की आग देखी है
दिल समंदर बे आब कर डाला
क्यूँ नज़रें लगी हैं राहों पे
किसी की आमद के मुन्तजिर हो 'फहीम'
किस ने इतना बेताब कर डाला

wel come