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Saturday, June 6, 2009

qateel shifai ki shayyiri

गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते है
हम चिरागों की तरह, शाम से जल जाते हैं
शमा जिस आग से जलती है, नुमिश के लिए
हम उसी आग में, गुमनाम से जल जाते हैं
जब भी आता है तेरा नाम, मेरे नाम के साथ
जाने क्यूँ लोग, मेरे नाम से जल जाते हैं
तुझसे मिलने पे मुझे, क्या कहेंगे दुश्मन
आशना जब तेरे, पैगाम से जल जाते हैं

Friday, June 5, 2009

qateel shifai ki shayyiri

लिख दिया अपने दर पे किसी ने
इस जगह प्यार करना मना है
प्यार अगर हो भी जाए किसी को
इस का इज़हार करना मना है
पहले नज़रें वो अपनी झुकाए
वो सनम जो खुदा बन गया है
उंनका दीदार करना मना है
जाग उठे तो आहें भरेंगे
हुस्न वालों को रुसवा करेंगे
सो गए हैं जो फिरक़त के मारे
उनको बेदार करना माना है
हमने की अर्ज़ ऐ ! बंदा_परवर
क्यूँ सितम धा रहे हो ये हम पर
बात सुन कर हमारी वो बोले
हमसे तकरार करना माना है
खा ना जाना 'क़तील' उनका धोखा
अब भी अपने लिए उस गली में
शौक़-ए-दीदार करना मना है
लिख दिया अपने दर पे किसी ने
इस जगह प्यार करना मना है

Thursday, June 4, 2009

qateel shifai ki shayyiri

तुने ये फूल जो जुल्फों में सजा रखा है
एक दीया है जो अंधेरों में जला रखा है
जीत ले जाये कोई मुझको नसीबों वाला
जिंदगी ने मुझे दाव पे लगा रखा है
जाने कब आए कोई दिल में झाँकने वाला
इस लिए मैंने गिरेबान खुला रखा है
इम्तेहान और मेरे ज़ब्त का तुम क्या लोगे
मैंने धड़कन को भी सीने में छुपा रखा है
दिल था एक शोला मगर बीत गया दिन वो 'क़तील'
अब कुरेदो न इससे राख में क्या रखा है

Monday, June 1, 2009

qateel shifai ki shayyiri

गुज़रे दिनों की याद बरसती घटा लगे
गुजरो जो उस गली से तो ठंडी हवा लगे
मेहमान बन के आये किसी रोज़ अगर वो शख्स
उस रोज़ बिन सजाये मेरा घर सजा लगे
मैं इस लिए मानता नही वस्ल की खुशी
मेरे रकीब की मुझे बद_दुआ लगे
वो कहत दोस्ती का पड़ा है इन् दिनों
जो मुसकुरा के बात करे आशना लगे
तर्क--वफ़ा के बाद ये उसकी अदा 'क़तील'
मुझको सताये कोई तो उसको बुरा लगे

qateel shifai ki shayyiri

लोग कह्ते हैं नील-कमल जिसे वो तो 'क़तील'
शब् को उन झील सी आंखों में खिला करता है

Saturday, May 30, 2009

qateel shifai ki shayyiri

मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम
एक दूसरे के याद में रोया करेंगे हम
आंसू छलक छलक के सतायेंगे रात भर
मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम
जब दूरियों की याद दिलों को जलायेगी
जिस्मों को चांदनी में भिगोया करेंगे हम
गर दे गया दगा हमें तूफ़ान भी 'क़तील'
साहिल पे कश्तियों को डूबोया करेंगे हम

Friday, May 29, 2009

qateel shifai ki shayyiri

चराग बन के जला जिसके वास्ते इक उमर
चला गया वो हवा के सपुर्द कर के मुझे
मैं अपनी जात में नीलम हो गया हूँ 'क़तील'
ग़म-ऐ-हयात से कह दो खरीद ले मुझे

Thursday, May 21, 2009

qateel shifai ki shayyiri

गुनगुनाती हुई आती हैं फलक से बूँदें
कोई बदली तेरी पाज़ेब से टकराई है

Saturday, May 2, 2009

qateel shifai ki shayyiri

मेरे हमनशीं मेरी कदर कर, मैं बनुगा फिर तेरा हमसफ़र
जो हुआ बिहिश्त बदर[स्वर्ग से निकला हुआ] कभी, उसी आदमी का बदल हूँ मैं !!!

Friday, April 17, 2009

qateel shifai ki shayyiri

जो वो हौवा कि बेटी है तो मैं आदम का बेटा हूँ
मुझे उसकी ज़रुरत है, उसे मेरी ज़रुरत है

wel come