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Friday, May 29, 2009

iqbal ki shayyiri

कभी हैरत, कभी मस्ती, कभी आहे-सहरगाही
बदलता है हज़ारों रंग, मेरा दर्द--महजूरी

Thursday, May 21, 2009

iqbal ki shayyiri

अच्छा है दिल के साथ रहे पासबाने[चौकीदार]-अक्ल
लेकिन कभी कभी उसे तन्हा भी छोड़ दे

Thursday, May 7, 2009

iqbal ki shayyiri

मैं तुझको बताता हूँ तकदीरे-उसम कया है
शम्शीरो सिनाँ[तलवार-बाण] अवल, ताऊसो-रबाब आखिर

Tuesday, April 28, 2009

iqbal ki shayyiri

छुपाकर आस्तीं में बिजलियाँ राखी हैं गर्दुं ने
अनादिल बाघ के गाफिल ना बैठें आशियानों में

wel come