जिंदगी जैसे एक सज़ा हो गई है
देखते देखते क्या से क्या हो गई है
जबसे छोडा है तुने मेरे दिल का नगर
धूल से हर गली आशना हो गई है
सर खुशी की कैफियत तेरी रहती थी हर दम
वो भी हमसे न जाने कहाँ खो गई है
तू जो रोता है मुझसे तू यह तो बता
मेरी क्या थी खता जो सज़ा हो गई है
मेरे लफ्जों की ताक़त ने तेरे लहजे की चाहत
लगता है हर सदा बे-सदा हो गई है