चारागर हार गया हो जैसे,
अब तो मरना ही दवा हो जैसे
मुझसे बिछड़ा था वो पहले भी मगर,
अब के ये ज़ख्म नया हो जैसे
मेरे माथे पे तेरे प्यार का हाथ,
रूह पर दस्त-ऐ-सबा हो जैसे
यूं बहुत हँस के मिला था लेकिन,
दिल ही दिल में वो खाफ़ा हो जैसे
सर छुपायें तो बदन खुलता है,
ज़ीस्त मुफ़लिस की रिदा हो जैसे
nikala mujhko zannat se fareb-e-zindgi de kar.............. diya phir shaunq zannat ka ye hairani nahi jaati.......
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Monday, June 8, 2009
unknown
सर-ए-राह कुछ भी कहा नही कभी उसके घर मैं गया नही
मैं जनम जनम से उसी का हूँ, उससे आज तक यह पता नहीं
उससे पाक नज़रो से चूमना भी इबादतो में शुमार है
कोई फूल लाख करीब हो कभी मैंने उसको छुआ नही
ये खुदा की देन अजीब है की इसी का नाम नसीब है
जिसे तुने चाह वो मिल गया, जिसे मैंने चाह मिला नहीं
इसी शहर में कई साल से मेरे कुछ करीबी अज़ीज़ है
उन्हे मेरी कोई ख़बर नहीं मुझे उंनका कोई पता नहीं
मैं जनम जनम से उसी का हूँ, उससे आज तक यह पता नहीं
उससे पाक नज़रो से चूमना भी इबादतो में शुमार है
कोई फूल लाख करीब हो कभी मैंने उसको छुआ नही
ये खुदा की देन अजीब है की इसी का नाम नसीब है
जिसे तुने चाह वो मिल गया, जिसे मैंने चाह मिला नहीं
इसी शहर में कई साल से मेरे कुछ करीबी अज़ीज़ है
उन्हे मेरी कोई ख़बर नहीं मुझे उंनका कोई पता नहीं
unknown
बचा ही किया है सो हद से गुज़र की देखते हैं
की टूट कब के चुके पर अब बिखर की देखते हैं
सुना है जो भी गया उस को मिल गई मंजिल
सो उस की राह से हम भी गुज़र की देखते हैं
सितारा एक अभी आसमान पे बाकी है
कुछ इंतज़ार ज़रा और कर की देखते हैं
बस एक झलक से तो मिलता नहीं नज़र को करार
जो देखते हैं तो फिर आँख भर के देखते हैं...
की टूट कब के चुके पर अब बिखर की देखते हैं
सुना है जो भी गया उस को मिल गई मंजिल
सो उस की राह से हम भी गुज़र की देखते हैं
सितारा एक अभी आसमान पे बाकी है
कुछ इंतज़ार ज़रा और कर की देखते हैं
बस एक झलक से तो मिलता नहीं नज़र को करार
जो देखते हैं तो फिर आँख भर के देखते हैं...
unknown
उस ने फिर मेरा हाल पुछा है
कितना मुश्किल सवाल पुछा है
हिचकियों का अजब लहजा था
बात को टाळ टाळ पूछा है
तुम मुझे छोड़ तो ना जाओगे
वास्ते डाळ डाळ पुछा है
आंसुओं की जुबां में उसने
जितना पुछा है कमाल पुछा है
क्या कभी मिल सकेंगे हम दोनों
मुझसे मेरा ख्याल पुछा है....!!!!
कितना मुश्किल सवाल पुछा है
हिचकियों का अजब लहजा था
बात को टाळ टाळ पूछा है
तुम मुझे छोड़ तो ना जाओगे
वास्ते डाळ डाळ पुछा है
आंसुओं की जुबां में उसने
जितना पुछा है कमाल पुछा है
क्या कभी मिल सकेंगे हम दोनों
मुझसे मेरा ख्याल पुछा है....!!!!
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तुझे ख़बर है तुझे सोचने की खातिर
बोहुत से काम मुक़दर पे टाळ रखते हैं
कोई भी फ़ैसला हम सोच कर नहीं करते
तुम्हारे नाम का सिक्का उछाल रखते हैं
तुम्हारे बाद ये आदत सी हो गई अपनी
बिखरते सूखते पत्ते संभल रखते हैं
खुशी सी मिलती है ख़ुद को अजयातें दे कर
सू जनबुझ कर ख़ुद को निढाल रखते हैं
तुम्हारे हिज्र में ये हाल हो गया अपना
किसी का ख़त हो, उससे भी संभल रखते हैं
खुशी मिले तो तेरे बाद खुश नही होते
हम अपनी आँख में हर दम मलाळ रखते हैं
कुछ इस लिए भी तो बे-हाल हो गए हम लोग
तुम्हारी याद का बेहद ख्याल रखते हैं
बोहुत से काम मुक़दर पे टाळ रखते हैं
कोई भी फ़ैसला हम सोच कर नहीं करते
तुम्हारे नाम का सिक्का उछाल रखते हैं
तुम्हारे बाद ये आदत सी हो गई अपनी
बिखरते सूखते पत्ते संभल रखते हैं
खुशी सी मिलती है ख़ुद को अजयातें दे कर
सू जनबुझ कर ख़ुद को निढाल रखते हैं
तुम्हारे हिज्र में ये हाल हो गया अपना
किसी का ख़त हो, उससे भी संभल रखते हैं
खुशी मिले तो तेरे बाद खुश नही होते
हम अपनी आँख में हर दम मलाळ रखते हैं
कुछ इस लिए भी तो बे-हाल हो गए हम लोग
तुम्हारी याद का बेहद ख्याल रखते हैं
unknown
जिस की कुर्बत में करार बोहत है,
उस का मिलना दुशवार बोहत है,
जो मेरे हाथों की लकीरों में नही,
उस शख्स से हमें प्यार बोहत है,
दुःख की ठेस को हमें सहना ही है,
एक शख्स पे हमें ऐतबार बोहत है,
सुबह से शाम हुई उस के साथ,
बातों में अभी इख्तेसर बोहत है,
जिस को मेरे घर का रास्ता नही मालूम,
उस का दिल को इंतज़ार बोहत है,
नए ज़ख्मों की अभी ख़बर नही होई,
पुरानी चोटों का खुमार बोहत है,
यह हो नही सकता हम उन्हें भुला दें,
क्या करें उंनका इसरार बोहत है
उस का मिलना दुशवार बोहत है,
जो मेरे हाथों की लकीरों में नही,
उस शख्स से हमें प्यार बोहत है,
दुःख की ठेस को हमें सहना ही है,
एक शख्स पे हमें ऐतबार बोहत है,
सुबह से शाम हुई उस के साथ,
बातों में अभी इख्तेसर बोहत है,
जिस को मेरे घर का रास्ता नही मालूम,
उस का दिल को इंतज़ार बोहत है,
नए ज़ख्मों की अभी ख़बर नही होई,
पुरानी चोटों का खुमार बोहत है,
यह हो नही सकता हम उन्हें भुला दें,
क्या करें उंनका इसरार बोहत है
unknown
ये सनाटा बोहत महंगा पड़ेगा
उससे भी फूट कर रोना पड़ेगा
वही दो चार चेहरे अजनबी से
उन्ही को फिर से दोहराना पड़ेगा
कोई घर से निकलता ही नहीं है
हवा को थक के सोया जाना पड़ेगा
यहाँ सूरज भी काला पड़ गाया है
कहीं से दिन भी मंगवाना पड़ेगा
वो अच्छे थे जो पहले मर गये हैं
हमें कुछ और पछताना पड़ेगा
उससे भी फूट कर रोना पड़ेगा
वही दो चार चेहरे अजनबी से
उन्ही को फिर से दोहराना पड़ेगा
कोई घर से निकलता ही नहीं है
हवा को थक के सोया जाना पड़ेगा
यहाँ सूरज भी काला पड़ गाया है
कहीं से दिन भी मंगवाना पड़ेगा
वो अच्छे थे जो पहले मर गये हैं
हमें कुछ और पछताना पड़ेगा
unknown
जिंदगी को न बना ले वो सज़ा मेरे बाद
हौसला देना उन्हे खुदा मेरे बाद
हाथ उठाते हुए उनंके न कोई देखेगा
किस के आने की करेंगे वो दुआ मेरे बाद
कौन घूंघट को उठाएगा सितमगर कह कर
और फिर किस से करेंगे वो वफ़ा मेरे बाद
फिर ज़माने में मुहब्बत की परस्तिश होगी
रोएगी सिसकियाँ ले ले कर वफ़ा मेरे बाद
वोह जो कहता था के सिर्फ़ तेरे लिए जीत हूँ
उस का क्या जाने....क्या हाल होगा मेरे बाद
हौसला देना उन्हे खुदा मेरे बाद
हाथ उठाते हुए उनंके न कोई देखेगा
किस के आने की करेंगे वो दुआ मेरे बाद
कौन घूंघट को उठाएगा सितमगर कह कर
और फिर किस से करेंगे वो वफ़ा मेरे बाद
फिर ज़माने में मुहब्बत की परस्तिश होगी
रोएगी सिसकियाँ ले ले कर वफ़ा मेरे बाद
वोह जो कहता था के सिर्फ़ तेरे लिए जीत हूँ
उस का क्या जाने....क्या हाल होगा मेरे बाद
unknown
पूछ लो तुम भी इस ज़माने से
प्यार छुपता नहीं छुपाने से
पास आते हो छुते हो, बात करते हो
कभी मतलब से कभी बहने से
प्यार दिल में है तो लाओ ज़ुबाँ पे
आग भड़कती है इस कदर बुझाने से
तुम्हें न पाना शायद बेहतर है
पा के फिर से तुम्हें गंवाने से
क्या सुनायें किसी को राज़-ए-दिल
दर्द सिर्फ़ बढ़ता ही है सुनाने से
प्यार छुपता नहीं छुपाने से
पास आते हो छुते हो, बात करते हो
कभी मतलब से कभी बहने से
प्यार दिल में है तो लाओ ज़ुबाँ पे
आग भड़कती है इस कदर बुझाने से
तुम्हें न पाना शायद बेहतर है
पा के फिर से तुम्हें गंवाने से
क्या सुनायें किसी को राज़-ए-दिल
दर्द सिर्फ़ बढ़ता ही है सुनाने से
unknown
बहुत खास होते है दिल
जिनमे मोहब्बत जवान होती है
खुदा का घर होता है इनमे
फरिश्तों की जबान होती है...
अशर इज़हार में गिर जाया नही करते
इससे अच्छी शायरी कहाँ होती है....
सनम से दुरी..ख्याल भी गुनाह है
बे इजाज़त आशिकों को मौत भी मना होती है...
दुआ देता है ये दिले-नाकाम-मोहब्बत
कह्ते है की मायुसों की दुआ खुदा होती है...
जिनमे मोहब्बत जवान होती है
खुदा का घर होता है इनमे
फरिश्तों की जबान होती है...
अशर इज़हार में गिर जाया नही करते
इससे अच्छी शायरी कहाँ होती है....
सनम से दुरी..ख्याल भी गुनाह है
बे इजाज़त आशिकों को मौत भी मना होती है...
दुआ देता है ये दिले-नाकाम-मोहब्बत
कह्ते है की मायुसों की दुआ खुदा होती है...
unknown
अपने हर एक लफ्ज़ का खुद आइना हो जाऊँगा
उस को छोटा कह के मैं खुद कैसे बड़ा हो जाऊँगा
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं
मैं गिरा तो मसला बन कर खड़ा हो जाऊँगा
मुझको चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोका गया तो काफिला हो जाऊँगा
सारी दुनीया की नज़र में है मेरा अहद-ए-वफ़ा
एक तेरे कहने से कया मैं बेवफा हो जाऊँगा
उस को छोटा कह के मैं खुद कैसे बड़ा हो जाऊँगा
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं
मैं गिरा तो मसला बन कर खड़ा हो जाऊँगा
मुझको चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोका गया तो काफिला हो जाऊँगा
सारी दुनीया की नज़र में है मेरा अहद-ए-वफ़ा
एक तेरे कहने से कया मैं बेवफा हो जाऊँगा
unknown
इंतज़ार आज के दिन का था बड़ी मुदत से
आज उस ने मुझे दीवाना कहा है यारो
मुड के देखूं तो किधर ? और सदा दूँ तो किस्से ?
मेरे मांजी ने मुझे छोड़ दिया है यारो
कोई देता है दुआएं तो ये जल उठता है
मेरा जीवन किसी मन्दिर का दिया है यारो
मैं अंधेरे में रहूँ ! या उजाले में रहूँ !
ऐसा लगता है जैसे कोई देख रहा है यारो
जिसका कोई नही उस का तो खुदा है यारो
मैं नही कहता किताबो में लिखा है यारो
आज उस ने मुझे दीवाना कहा है यारो
मुड के देखूं तो किधर ? और सदा दूँ तो किस्से ?
मेरे मांजी ने मुझे छोड़ दिया है यारो
कोई देता है दुआएं तो ये जल उठता है
मेरा जीवन किसी मन्दिर का दिया है यारो
मैं अंधेरे में रहूँ ! या उजाले में रहूँ !
ऐसा लगता है जैसे कोई देख रहा है यारो
जिसका कोई नही उस का तो खुदा है यारो
मैं नही कहता किताबो में लिखा है यारो
Sunday, June 7, 2009
unknown
मुझसे मिलने के वो करता था बहाने कितने
अब गुजारेगा मेरे साथ ज़माने कितने
मैं गिरा था तोह बहुत लोग रुके थे लेकिन
सोचता हूँ मुझे आए थे उठाने कितने
जिस तरह मैंने तुझे अपना बना रखा था
सोचते होंगे यही बात न जाने कितने
तुम नया ज़ख्म लगाओ तुम्हें इस से क्या
भरने वाले है अभी ज़ख्म पुराने कितने
अब गुजारेगा मेरे साथ ज़माने कितने
मैं गिरा था तोह बहुत लोग रुके थे लेकिन
सोचता हूँ मुझे आए थे उठाने कितने
जिस तरह मैंने तुझे अपना बना रखा था
सोचते होंगे यही बात न जाने कितने
तुम नया ज़ख्म लगाओ तुम्हें इस से क्या
भरने वाले है अभी ज़ख्म पुराने कितने
unknown
"लबो पे आज उनका नाम आ गया.......,
प्यासे की हाथ जैसे जाम आ गया.......,
डोले कदम तोह गिरा उनकी बाहों में जाकर......,
हमारा पीना ही हमारे काम आ गया.......
प्यासे की हाथ जैसे जाम आ गया.......,
डोले कदम तोह गिरा उनकी बाहों में जाकर......,
हमारा पीना ही हमारे काम आ गया.......
unknown
तेरी याद से रिश्ता कल भी था
तेरी याद से रिश्ता आज भी है,,
दिल अपना दुखता कल भी था
दिल ये उदास आज भी है,,
जो दोस्ती हम तुम करते थे
वोह दोस्ती तो जिंदा आज भी है,,
हम बिचड गए इस दूरी में
तुम दूर हो मजबूरी में,,
कभी वक्त मिले तो चले आना
खुला दिल का दरवाज़ा आज भी है,,
न सताओ, न तड़पाओ..... .
न महफिल में यु तन्हा छोड़ो,
तेरी याद में जागे कल भी थे,
तेरी याद में जागे आज भी हैं......
तेरी याद से रिश्ता आज भी है,,
दिल अपना दुखता कल भी था
दिल ये उदास आज भी है,,
जो दोस्ती हम तुम करते थे
वोह दोस्ती तो जिंदा आज भी है,,
हम बिचड गए इस दूरी में
तुम दूर हो मजबूरी में,,
कभी वक्त मिले तो चले आना
खुला दिल का दरवाज़ा आज भी है,,
न सताओ, न तड़पाओ..... .
न महफिल में यु तन्हा छोड़ो,
तेरी याद में जागे कल भी थे,
तेरी याद में जागे आज भी हैं......
unknown
जो पत्थर हो उन्हें दिल की सदायें कुछ नही कहती,
अगर सच्ची मोहब्बत हो तो फिर वो चुप नही रहती,
ज़रूरी तो नही दिल को लफ्जों में बयाँ कर दूँ,
इधर देखो क्या मेरी आँखे तुमसे कुछ नही कहती,
तेरी मासूम सूरत जब से मेरे दिल में उतरी है,
मुझे यह शोख यह चंचल अदाएँ कुछ नही कहती,
यह जादू मेरे लफ्जों का चल ही गया आख़िर,
के वो भी गुमसुम सी रहती है किसी से कुछ नही कहती....
अगर सच्ची मोहब्बत हो तो फिर वो चुप नही रहती,
ज़रूरी तो नही दिल को लफ्जों में बयाँ कर दूँ,
इधर देखो क्या मेरी आँखे तुमसे कुछ नही कहती,
तेरी मासूम सूरत जब से मेरे दिल में उतरी है,
मुझे यह शोख यह चंचल अदाएँ कुछ नही कहती,
यह जादू मेरे लफ्जों का चल ही गया आख़िर,
के वो भी गुमसुम सी रहती है किसी से कुछ नही कहती....
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पिछले बरस यह डर था, कही तू जुदा ना हो
अब के बरस दुआं है तेरा सामना ना हो
सामना ना हो गुजरे जिधर से तू, वोह मेरा रास्ता ना
अच्छा मेरी वफाओं का तुने सिला दिया यह कया
किया के खाक़ में मुझको मिला दिया
सुरमा समझ के गैर को आँखों में दी जगह
आंसू समझ के मुझको नज़रों से गिरा दिया
महबूब यूँ किसीका कोई बेवफा ना हो
तेरे सितम कि दास्तान किसको सुनाऊं मैं
तुने दीये जो ज़ख्म वोह किसको दिखाऊं मैं
अब ऐसे मोड़ पर है मेरी ज़िन्दगी जहाँ
यह भी बहुत है अगर तुझको भूल जाऊं मैं
जो मुझसे हुई ऐसी किसीसे खता ना हो
तीरथ नही है जिसमें वोह सूरत फिजूल है
खुशबु अगर ना हो तोः वोह कागज़ का फूल है
यह दिल कभी ना धड़केगा अब तेरे नाम से
तेरा उसूल है तो मेरा भी उसूल है
इस ज़िन्दगी में तुझसे कभी वास्ता ना हो
अब के बरस दुआं है तेरा सामना ना हो
सामना ना हो गुजरे जिधर से तू, वोह मेरा रास्ता ना
अच्छा मेरी वफाओं का तुने सिला दिया यह कया
किया के खाक़ में मुझको मिला दिया
सुरमा समझ के गैर को आँखों में दी जगह
आंसू समझ के मुझको नज़रों से गिरा दिया
महबूब यूँ किसीका कोई बेवफा ना हो
तेरे सितम कि दास्तान किसको सुनाऊं मैं
तुने दीये जो ज़ख्म वोह किसको दिखाऊं मैं
अब ऐसे मोड़ पर है मेरी ज़िन्दगी जहाँ
यह भी बहुत है अगर तुझको भूल जाऊं मैं
जो मुझसे हुई ऐसी किसीसे खता ना हो
तीरथ नही है जिसमें वोह सूरत फिजूल है
खुशबु अगर ना हो तोः वोह कागज़ का फूल है
यह दिल कभी ना धड़केगा अब तेरे नाम से
तेरा उसूल है तो मेरा भी उसूल है
इस ज़िन्दगी में तुझसे कभी वास्ता ना हो
unknown
आप जिनके करीब होते हैं
वो बड़े खुशनसीब होते हैं
जब तबियात किसी पे आती hai
मौत ke दिन करीब होते hai
मुझसे मिलना फिर आपका मिलना
आप किसको नसीब होते हैं
ज़ुल्म सहकर जो उफ़ नहीं करते
उनके dil भी अजीब होते hai
वो बड़े खुशनसीब होते हैं
जब तबियात किसी पे आती hai
मौत ke दिन करीब होते hai
मुझसे मिलना फिर आपका मिलना
आप किसको नसीब होते हैं
ज़ुल्म सहकर जो उफ़ नहीं करते
उनके dil भी अजीब होते hai
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