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Saturday, May 30, 2009

daag dehlvi ki shayyiri

परदे परदे में आफताब अच्छे नहीं
ऐसे अंदाज़-ए-हिजाब अच्छे नहीं
मय_कदे में हो गये चुप-चाप क्यूँ
आज कुछ मस्त-ए-शराब अच्छे नहीं
ऐ फलक कया है ज़माने की बिसात
दम-ब-दम के इंक़लाब अच्छे नहीं
बज्म-ए-वाइज़ बे_शराब अच्छे नहीं
ऐसे जलसे बे_शराब अच्छे नहीं
तौबा कर लें हम मय-ओ-माशूक से
बे-मज़ा हैं यें सवाब अच्छे नहीं
इक नजूमी 'दाग़' से कहता था आज
आप के दिन ऐ जनाब अच्छे नहीं

Friday, May 29, 2009

daag dehlvi ki shayyiri

आरजू है वफ़ा करे कोंई
जी ना चाहे तोह कया करे कोंई
गर मर्ज़ हो दवा करे कोई
मरने वाए का कया करे कोई
कोसते हैं जले हुए कया कया
अपने हक में दुआ करे कोई
उंनसे सब अपनी-अपनी कह्ते हैं
मेरा मतलब अदा करे कोई
तुम सरापा हो सूरत-ए-तस्वीर
तुम से फिर बात कया करे कोई
जिसमे लाखो बरस की हूरे हो
ऐसी जन्नत का कया करे कोई


wel come