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Friday, June 5, 2009

ahmed nadeem qasmi ki shayyiri

मुझसे काफिर को तेरे इश्क ने यूँ शरमाया
दिल तुझे दे के धड़का तो खुदा याद आया
चारागर आज सितारों की क़सम खा के बता
किसने इंसान को तबस्सुम के लिए तरसाया
नजर करता रहा मैं फूल के जज्बात उससे
जिसने पत्थर के खिलोनों से मुझको बहलाया
उसके अन्दर कोई फनकार छुपा बैठा है
जानते-बुझते जिस शख्स ने धोखा खाया

Thursday, April 30, 2009

ahmed nadeem qasmi ki shayyiri

अभी कहीं ना कहीं सिदक़ भी है, अदल भी है
मैं वर्ना खैर के इस्बात[proof] से मुकर जाता

Saturday, April 25, 2009

ahmed nadeem qasmi ki shayyiri

कमाँ कि लचक वक़त ने छीन ली
कि अब चुकते हैं निशाने तेरे

wel come