Friday, June 5, 2009

ahmed nadeem qasmi ki shayyiri

मुझसे काफिर को तेरे इश्क ने यूँ शरमाया
दिल तुझे दे के धड़का तो खुदा याद आया
चारागर आज सितारों की क़सम खा के बता
किसने इंसान को तबस्सुम के लिए तरसाया
नजर करता रहा मैं फूल के जज्बात उससे
जिसने पत्थर के खिलोनों से मुझको बहलाया
उसके अन्दर कोई फनकार छुपा बैठा है
जानते-बुझते जिस शख्स ने धोखा खाया

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