ग़म ही ऐसा था दिल शक[फटना] हो गया वर्ना 'फ़राज़'
कैसे कैसे हादसे हंस हंस के सह जाना पड़े
nikala mujhko zannat se fareb-e-zindgi de kar.............. diya phir shaunq zannat ka ye hairani nahi jaati.......
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Thursday, May 7, 2009
Saturday, May 2, 2009
faraz ki shayyiri
खामोश हो क्यूँ, दादे-जफा क्यूँ नहीं देते
बिस्मिल हो तो कातिल को दुआ क्यूँ नहीं देते
बिस्मिल हो तो कातिल को दुआ क्यूँ नहीं देते
Saturday, April 25, 2009
faraz ki shayyiri
आज हम डार पे खींचे गये जिन बातों पर
कया अजाब कल वो ज़माने को निसाबों[पाठ्यकर्म] में मिले
कया अजाब कल वो ज़माने को निसाबों[पाठ्यकर्म] में मिले
Friday, April 17, 2009
faraz ki shayyiri
जब परचमे जाँले कर निकल, हम ख़ाक-नशीं मक़तल मक़तल
उस वक़त से ले कर आज तलक, जल्लाद पे हैबत[आतंक] तारी है
उस वक़त से ले कर आज तलक, जल्लाद पे हैबत[आतंक] तारी है
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