Showing posts with label सर अलम मोहम्मद इकबाल. Show all posts
Showing posts with label सर अलम मोहम्मद इकबाल. Show all posts

Tuesday, June 2, 2009

sir alama mohmmad iqbal ki shayyiri

परवाना तुझसे करता है ऐ शमा प्यार क्यूँ
यह जान-ए-बे_करार है तुझ पर निसार क्यूँ
सीमाब वार रखती है तेरी अदा इसे
आदाब-ए-इश्क तुने सिखाये हैं क्या इसे ?
करता है यह तवाफ़ तेरी जलवा-गाह का
फूँका है क्या तेरी बर्क-ए-निगाह का ?
आजार-ए-मौत में इसे आराम-ए-जान है क्या ?
शोले में तेरी जिंदगी-ए-जा_विदां है क्या ?
ग़म-ए-खाना-ए-जहाँ में जो तेरी जिया न हो
इस फितना दिल का नखल-ए-तमन्ना हरा न हो
गिरना तेरे हजूर में इस की नमाज़ है
नन्हे से दिल में लज्ज़त-ए-सोज़-ए-गुदाज़ है
कुछ इस में जोश-ऐ-आशिक-ए-हसन-ए-क़दीम है
छोटा सा तूर तो, यह ज़रा सा कलीम है

wel come