मुन्तज़र कबसे तैयार है तेरी तकदीर का
बात कर तुझ पर गुमान होने लगा तस्वीर का
रात क्या सोये के बाकी उम्र की नींद उद्द गई
खवाब क्या देखा के धड़का लग गया तहबीर का
कैसे पाया था तुझे फिर किस तरह खोया तुझे
मुझसा मुनकिर भी तो कायल हो गया तकदीर का
जिसको भी चाहा उसे शिदत से चाहा है 'फ़राज़'
सिलसिला टूटा नही है दर्द की ज़ंजीर का
bahut khoob.. ji.. thanks and congrats.. for takling pain to write in hindi..
ReplyDeleteyr choice is alwys good..