Monday, June 8, 2009

faraz ki shayyiri

मुन्तज़र कबसे तैयार है तेरी तकदीर का
बात कर तुझ पर गुमान होने लगा तस्वीर का
रात क्या सोये के बाकी उम्र की नींद उद्द गई
खवाब क्या देखा के धड़का लग गया तहबीर का
कैसे पाया था तुझे फिर किस तरह खोया तुझे
मुझसा मुनकिर भी तो कायल हो गया तकदीर का
जिसको भी चाहा उसे शिदत से चाहा है 'फ़राज़'
सिलसिला टूटा नही है दर्द की ज़ंजीर का

1 comment:

  1. bahut khoob.. ji.. thanks and congrats.. for takling pain to write in hindi..
    yr choice is alwys good..

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wel come