nikala mujhko zannat se fareb-e-zindgi de kar.............. diya phir shaunq zannat ka ye hairani nahi jaati.......
Monday, December 22, 2008
khayal ki shayyiri
वहम होगा तो उससे यकीं कह देंगे आसमान को गिरा देंगे, ज़मीं कह देंगे अपना मकसद के लिए अहले-हवस, कया मालूम किसको गुलफाम किसे माहज़बीं कह देंगे ! उम्र भर खुल के न हो पायेगी बातें बाहम(एक दुसरे से) दोनों डरते हैं कि गैरों से कहीं कह देंगे अबके सोचा है कि हम पूछ ही डालेंगे सवाल और कया होगा बहुत ! आप 'नहीं' कह देंगे ! काम होगा कि न होया, ये तो जाने मालिक आप कह्ते हैं तो हम अपनी तईं(अपनी और से) कह देंगे आज़माइश के मयारों से हैं वाकिफ़ हम भी इम्तिहान सख्त न लोगे तो हमीं कह देंगे दिल दिमाग और बदन के भी तनासुब[balance] पे 'ख्याल' वो खरा उतरे तो, हम उसको हसीं कह देंगे
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